बस्ती। महान संत गाडगे बाबा की 70वीं पुण्यतिथि पर शनिवार को भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आर.के. आरतियन के संयोजन में पानी की टंकी के निकट स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके योगदान को याद किया गया। इस अवसर पर संत गाडगे बाबा के सामाजिक, शैक्षिक और मानवतावादी विचारों पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम में मौजूद पदाधिकारियों ने उनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग की।
भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आर.के. आरतियन ने कहा कि आधुनिक भारत को जिन महापुरुषों पर गर्व होना चाहिए, उनमें राष्ट्रीय संत गाडगे बाबा का नाम सर्वोपरि है। वे शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार मानते थे। उनका संदेश था कि चाहे कितनी भी आर्थिक कठिनाई हो, बच्चों की शिक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने अंधविश्वास से ग्रसित समाज को शिक्षा, स्वच्छता और वैज्ञानिक सोच का मार्ग दिखाया।
प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य चंद्रिका प्रसाद, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष बामसेफ डॉ. आर.के. आनंद, बीएमपी मंडल अध्यक्ष हृदय गौतम, नीलू निगम सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि संत गाडगे बाबा मानवता के सच्चे हितैषी और सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। उनका जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के अंजनगांव सुरजी तालुका के शेडगांव में एक धोबी परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम देबूजी झिंगरजी जानोरकर था। वे आजीवन पैदल भ्रमण कर समाज को शिक्षित करते रहे।
वक्ताओं ने बताया कि गाडगे बाबा जहां भी जाते थे, सबसे पहले गांव की सफाई करते थे। गांववासियों द्वारा दिए गए दान का उपयोग वे स्कूल, धर्मशाला, अस्पताल और पशुओं के आश्रय स्थल बनवाने में करते थे। शाम के समय वे कीर्तन के माध्यम से समाज को अंधविश्वास, जातिभेद और नशाखोरी के विरुद्ध जागरूक करते थे। वे शराबबंदी, परिश्रम, सादा जीवन और परोपकार के प्रबल समर्थक थे।
कार्यक्रम में चंद्र प्रकाश गौतम, सरिता भारती, खुशी, सनोज, ठाकुर प्रेम नंदवंशी, तिलक राम गौतम, साधना राज, राम राना, राम जियावन, परमात्मा, डॉ. जे.के. भार्गव, बुद्धि प्रकाश गौतम सहित भारत मुक्ति मोर्चा व अन्य संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे। अंत में संत गाडगे बाबा के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया गया।

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