लखनऊ । केन्द्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी), लखनऊ द्वारा डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में आयोजित पाँच दिवसीय मल्टीमीडिया प्रदर्शनी एवं जागरूकता कार्यक्रम के तीसरे दिन का विषय ‘कृषि विकास एवं किसानों का कल्याण’ रहा। इस मौके पर कृषि और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र के विशेषज्ञों ने किसानों से जुड़ी योजनाओं, तकनीकों और चुनौतियों पर विचार साझा किए।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. दीपाली सिंह चौहान ने कहा कि “किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उनका कल्याण ‘विकसित भारत’ के संकल्प का अभिन्न हिस्सा है।” उन्होंने जलवायु परिवर्तन, मिट्टी की सेहत, जैविक खेती और ड्रोन जैसी नई तकनीकों के इस्तेमाल को किसानों के लिए जरूरी बताया। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और डिजिटल मंडी जैसी योजनाओं की सफलता पर भी प्रकाश डाला।
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. एम. के. अग्रवाल ने कहा कि “भारत की आत्मा स्वदेशी है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में स्वदेशीकरण की अहम भूमिका है।” उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक टैक्स’ (GST) जैसी नीतियों की सराहना की, जिनसे कृषि क्षेत्र को लाभ मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को बाजार से सीधे जोड़ने की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि उन्हें उपज का सही दाम मिल सके।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. ए. के. श्रीवास्तव ने कहा कि “सही भंडारण और प्रसंस्करण तकनीकों से किसान फसल का नुकसान कम कर सकते हैं।” वहीं, प्रो. यशवंत विरोदय ने कृषि संबंधी जानकारियों को किसानों तक पहुँचाने में मीडिया की भूमिका को अहम बताया।
विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने कहा कि कृषि प्रधान देश में इस तरह के विषयों पर चर्चा बेहद जरूरी है और विशेषज्ञों के विचार किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
कार्यक्रम में ‘किसानों का सम्मान’ विषय पर आधारित चित्र प्रदर्शनी और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहीं।
कार्यक्रम का समापन सीबीसी के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी जय सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर सीबीसी निदेशक श्री मनोज कुमार वर्मा सहित कई अधिकारी और विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
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