बस्ती। जिले में इस वर्ष मानसून समय से कुछ दिन देरी से पहुंचा, लेकिन आते ही झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे। बीते सप्ताह जिले में अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जिससे खेतों में रोपाई का कार्य जोरों पर है। हालांकि, लगातार हो रही बारिश ने कुछ जगहों पर जलजमाव और आवागमन की समस्या भी खड़ी कर दी है। अब तक की बारिश का आंकड़ा जिला कृषि विभाग के अनुसार, बस्ती में 1 जून से अब तक औसतन 165 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। यह आंकड़ा सामान्य से लगभग 15% कम है, लेकिन बीते 3 दिनों में हुई भारी वर्षा से यह अंतर धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है। किसानों को मिली राहत बरसात की फुहारों के साथ ही धान की रोपाई का कार्य तेजी से शुरू हो गया है। खासकर बांसी, गौर, कप्तानगंज और सल्टौआ क्षेत्रों में किसान खेतों में जुट गए हैं। कृषि विभाग ने भी किसानों को सलाह दी है कि वे कम पानी में पकने वाली धान की किस्मों का प्रयोग करें, ताकि अनियमित बारिश से फसल को नुकसान न हो। शहरी क्षेत्र में जलनिकासी की समस्या शहर के कई इलाकों जैसे कलवारी रोड, सोनूपार, गांधी नगर और कंपनी बाग में जलजमाव की स्थिति बनी रही। नगर पालिका द्वारा जलनिकासी की समुचित व्यवस्था न किए जाने से नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कई स्थानों पर नालियां जाम होने की शिकायतें भी सामने आई हैं। स्वास्थ्य विभाग सतर्क बरसात के मौसम को देखते हुए मलेरिया, डेंगू और दस्त जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट पर रखा है। जिले भर में दवाओं का छिड़काव और साफ-सफाई के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की तैयारी जिलाधिकारी की ओर से सभी ब्लॉक स्तर पर कंट्रोल रूम सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आपदा राहत टीमों को तैयार रखा गया है। स्कूलों में भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। आने वाले दिनों का अनुमान मौसम विभाग के अनुसार, अगले एक सप्ताह तक बस्ती जिले में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है। बिजली गिरने की भी चेतावनी दी गई है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे खुले स्थानों या पेड़ों के नीचे बारिश के दौरान खड़े न हों इस बार का मानसून बस्ती में खेती-किसानी के लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन शहरी अव्यवस्थाएं और स्वास्थ्य संबंधी खतरे प्रशासन के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं। जरूरी है कि समय रहते ठोस प्रबंधन किया जाए, जिससे बारिश राहत ही बने, मुसीबत नहीं।
बस्ती। जिले में इस वर्ष मानसून समय से कुछ दिन देरी से पहुंचा, लेकिन आते ही झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे। बीते सप्ताह जिले में अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जिससे खेतों में रोपाई का कार्य जोरों पर है। हालांकि, लगातार हो रही बारिश ने कुछ जगहों पर जलजमाव और आवागमन की समस्या भी खड़ी कर दी है। अब तक की बारिश का आंकड़ा जिला कृषि विभाग के अनुसार, बस्ती में 1 जून से अब तक औसतन 165 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। यह आंकड़ा सामान्य से लगभग 15% कम है, लेकिन बीते 3 दिनों में हुई भारी वर्षा से यह अंतर धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है। किसानों को मिली राहत बरसात की फुहारों के साथ ही धान की रोपाई का कार्य तेजी से शुरू हो गया है। खासकर बांसी, गौर, कप्तानगंज और सल्टौआ क्षेत्रों में किसान खेतों में जुट गए हैं। कृषि विभाग ने भी किसानों को सलाह दी है कि वे कम पानी में पकने वाली धान की किस्मों का प्रयोग करें, ताकि अनियमित बारिश से फसल को नुकसान न हो। शहरी क्षेत्र में जलनिकासी की समस्या शहर के कई इलाकों जैसे कलवारी रोड, सोनूपार, गांधी नगर और कंपनी बाग में जलजमाव की स्थिति बनी रही। नगर पालिका द्वारा जलनिकासी की समुचित व्यवस्था न किए जाने से नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कई स्थानों पर नालियां जाम होने की शिकायतें भी सामने आई हैं। स्वास्थ्य विभाग सतर्क बरसात के मौसम को देखते हुए मलेरिया, डेंगू और दस्त जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट पर रखा है। जिले भर में दवाओं का छिड़काव और साफ-सफाई के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की तैयारी जिलाधिकारी की ओर से सभी ब्लॉक स्तर पर कंट्रोल रूम सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आपदा राहत टीमों को तैयार रखा गया है। स्कूलों में भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। आने वाले दिनों का अनुमान मौसम विभाग के अनुसार, अगले एक सप्ताह तक बस्ती जिले में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है। बिजली गिरने की भी चेतावनी दी गई है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे खुले स्थानों या पेड़ों के नीचे बारिश के दौरान खड़े न हों इस बार का मानसून बस्ती में खेती-किसानी के लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन शहरी अव्यवस्थाएं और स्वास्थ्य संबंधी खतरे प्रशासन के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं। जरूरी है कि समय रहते ठोस प्रबंधन किया जाए, जिससे बारिश राहत ही बने, मुसीबत नहीं।
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