बस्ती । नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग योजना के अंतर्गत आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का चौथा दिन उत्साह और सक्रिय भागीदारी के साथ संपन्न हुआ। प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्रामीण महिला कृषक समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए प्राकृतिक खेती की विधियों को व्यापक रूप से फैलाना है, जिसमें कृषि सखियों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रशिक्षण में कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के व्यावहारिक पहलुओं से परिचित कराया गया। प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत प्राकृतिक खेती के नोडल अधिकारी एवं शस्य वैज्ञानिक डॉ. हरिओम मिश्र द्वारा की गई, जिन्होंने जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत और नीमास्त्र जैसे जैविक घोलों की निर्माण प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने इन घोलों के खेत में उपयोग की विधियों का प्रदर्शन भी किया, जिसे प्रतिभागियों ने रुचिपूर्वक सीखा। इसके पश्चात डॉ. वी. बी. सिंह ने फसल चक्र और अंतः फसल प्रणाली पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार इन तकनीकों को अपनाकर भूमि की उर्वरता बनाए रखी जा सकती है और उत्पादकता में वृद्धि संभव है।
फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. प्रेम शंकर ने जैविक कीट प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए गन्ने के टॉप बोरर सहित अन्य प्रमुख कीटों के नियंत्रण के लिए ब्रह्मास्त्र, दशपर्णी अर्क, अग्नियस्थ्र और नीमास्त्र जैसे जैविक उपचारों का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में भाग ले रही कृषि सखियों ने कार्यक्रम को अत्यंत उपयोगी, व्यावहारिक और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि वे इस ज्ञान को अपने समूहों और गाँवों में साझा कर जैविक खेती को बढ़ावा देंगी।
प्रसार वैज्ञानिक आर. वी. सिंह ने बताया कि प्राकृतिक विधियों से उत्पाद तैयार कर कृषि सखियाँ अपनी आमदनी में भी वृद्धि कर सकती हैं। प्रगतिशील किसान एवं मास्टर ट्रेनर राजेंद्र सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं को प्राकृतिक खेती की दिशा में प्रेरित करने वाला है और इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मार्ग मिलेगा। इस प्रकार, प्रशिक्षण का चौथा दिन न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि ग्रामीण महिला किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक एवं सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
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