मुजफ्फरपुर। आज बी.आर. अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के अंतर्गत विश्वविद्यालय केंद्रीय पुस्तकालय स्थित सीनेट सभागार में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ जिसमे बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कहा कि बिहार के लगभग 8053 ग्राम पंचायतों, लगभग 533 प्रखंड समितियों एवं 36 जिला परिषदों में सरकार पुस्तकालय खोलने जा रही है, जो अंतिम चरण में है। उन्होंने देश के कोने-कोने से आये प्रतिभागियों, विषय विशेषज्ञों एवं आयोजन समिति को धन्यवाद दिया और संगोष्ठी में एक देश एक पुस्तकालय अधिनियम बनाने को भी मजबूती से रखा गया। विशिष्ट अतिथि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलानुशासक प्रो. एमपी सिंह ने कहा कि भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बनाए गए कानून "वन नेशन वन इलेक्शन" तथा "वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन" जैसी पहलों ने देश को एकसूत्र में बांधने का सराहनीय प्रयास किया हैं। इन्हीं पहलों की तर्ज पर अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार को अब “एक राष्ट्र एक पुस्तकालय अधिनियम: समय की जरूरत" जैसी क्रांतिकारी योजना पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने और "विकसित भारत: 2047" के स्वप्न को साकार करने हेतु यदि यह कानून अस्तित्व में आता है तो देश के कोने-कोने, यहां तक कि अंतिम पंक्ति के गांवों तक पुस्तकालयों की सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकेगी। इससे विद्यार्थियों, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं एवं ज्ञान के पिपासुओं को समान रूप से लाभ मिलेगा। प्रोफेसर सिंह का यह भी मानना हैं कि डिजिटल इंडिया के युग में एक केंद्रीकृत पुस्तकालय प्रणाली एक राष्ट्र एक पुस्तकालय अधिनियम ( One Nation One Library Legislation) से न केवल संसाधनों की बचत होगी, बल्कि शिक्षा का स्तर भी व्यापक रूप से ऊपर उठेगा। यह कदम प्रधानमंत्री के "हर घर शिक्षा" एवं "विकसित भारत: 2047" के स्वप्न की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम भी सिद्ध होगा। और अंत में प्रो. सिंह जी ने कहा कि हमारा एवं मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर स्थित है जिन्होंने कहा था शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो जितना पीएगा उतना दहाड़ेगा व पुस्तकालयों से अधिक पवित्र स्थान कोई नहीं हो सकता पुस्तके हमारा धर्म ग्रन्थ हैं, हमारा संविधान हैं। जैसे उदाहरण के साथ अपनी वाणी को विराम दिया। इसके साथ ही मुख्य अतिथि दिल्ली विवि पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के प्रोफेसर केपी सिंह ने कहा कि देश के युवा स्वामी विवेकानंद का अनुशरण करें ताकि हमारा देश 2047 से पहले विकसित हो सके। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजय कुमार ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय का पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग ने तीन दिवसीय सफल राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर पूरे देश में इस विश्वविद्यालय को प्रतिस्थापित करने का कार्य किया है। कार्यक्रम में डॉ. अमित किशोर की पुस्तक ज्ञान संगठन, सूचना प्रसंस्करण एवं पुनर्प्राप्ति का लोकार्पण किया गया। उन्हें सर्वोत्तम पेपर अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। इसमें लखनऊ से प्रो. एस. के. सोनकर, कोलकता से प्रो. सुवर्णोदास, बोधगया से डी. रूद्र ना. शुक्ला समेत अन्य लोग शामिल रहे।
Tuesday, April 8, 2025
एक राष्ट्र, एक पुस्तकालय अधिनियम समय की जरूरत - प्रो. एमपी सिंह
मुजफ्फरपुर। आज बी.आर. अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के अंतर्गत विश्वविद्यालय केंद्रीय पुस्तकालय स्थित सीनेट सभागार में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ जिसमे बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कहा कि बिहार के लगभग 8053 ग्राम पंचायतों, लगभग 533 प्रखंड समितियों एवं 36 जिला परिषदों में सरकार पुस्तकालय खोलने जा रही है, जो अंतिम चरण में है। उन्होंने देश के कोने-कोने से आये प्रतिभागियों, विषय विशेषज्ञों एवं आयोजन समिति को धन्यवाद दिया और संगोष्ठी में एक देश एक पुस्तकालय अधिनियम बनाने को भी मजबूती से रखा गया। विशिष्ट अतिथि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलानुशासक प्रो. एमपी सिंह ने कहा कि भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बनाए गए कानून "वन नेशन वन इलेक्शन" तथा "वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन" जैसी पहलों ने देश को एकसूत्र में बांधने का सराहनीय प्रयास किया हैं। इन्हीं पहलों की तर्ज पर अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार को अब “एक राष्ट्र एक पुस्तकालय अधिनियम: समय की जरूरत" जैसी क्रांतिकारी योजना पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने और "विकसित भारत: 2047" के स्वप्न को साकार करने हेतु यदि यह कानून अस्तित्व में आता है तो देश के कोने-कोने, यहां तक कि अंतिम पंक्ति के गांवों तक पुस्तकालयों की सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकेगी। इससे विद्यार्थियों, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं एवं ज्ञान के पिपासुओं को समान रूप से लाभ मिलेगा। प्रोफेसर सिंह का यह भी मानना हैं कि डिजिटल इंडिया के युग में एक केंद्रीकृत पुस्तकालय प्रणाली एक राष्ट्र एक पुस्तकालय अधिनियम ( One Nation One Library Legislation) से न केवल संसाधनों की बचत होगी, बल्कि शिक्षा का स्तर भी व्यापक रूप से ऊपर उठेगा। यह कदम प्रधानमंत्री के "हर घर शिक्षा" एवं "विकसित भारत: 2047" के स्वप्न की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम भी सिद्ध होगा। और अंत में प्रो. सिंह जी ने कहा कि हमारा एवं मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर स्थित है जिन्होंने कहा था शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो जितना पीएगा उतना दहाड़ेगा व पुस्तकालयों से अधिक पवित्र स्थान कोई नहीं हो सकता पुस्तके हमारा धर्म ग्रन्थ हैं, हमारा संविधान हैं। जैसे उदाहरण के साथ अपनी वाणी को विराम दिया। इसके साथ ही मुख्य अतिथि दिल्ली विवि पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के प्रोफेसर केपी सिंह ने कहा कि देश के युवा स्वामी विवेकानंद का अनुशरण करें ताकि हमारा देश 2047 से पहले विकसित हो सके। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजय कुमार ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय का पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग ने तीन दिवसीय सफल राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर पूरे देश में इस विश्वविद्यालय को प्रतिस्थापित करने का कार्य किया है। कार्यक्रम में डॉ. अमित किशोर की पुस्तक ज्ञान संगठन, सूचना प्रसंस्करण एवं पुनर्प्राप्ति का लोकार्पण किया गया। उन्हें सर्वोत्तम पेपर अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। इसमें लखनऊ से प्रो. एस. के. सोनकर, कोलकता से प्रो. सुवर्णोदास, बोधगया से डी. रूद्र ना. शुक्ला समेत अन्य लोग शामिल रहे।
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