- शिक्षा, स्वास्थ्य व यातायात सेवाओं के निजीकरण पर संगोष्ठी
बस्ती। कामरेड राजनारायण मिश्र किसानों, मजदूरों व शोषित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय तक मानवीय संघर्ष किया और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

यह बातें कामरेड राज नारायण मिश्र की तृतीय पुण्यतिथि पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उनके पुत्र स्वदेश मिश्र ने कही। प्रेस क्लब में शिक्षा, स्वास्थ्य व यातायात सेवाओं के तेज होते निजीकरण विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए स्वदेश मिश्र ने कहा कि राज नारायण मिश्र का दृष्टिकोण केवल मजदूरों के आर्थिक सुधारो तक सीमित नहीं था, उन्होंने समाज के शोषित वर्ग के लिए एक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को भी समझा।
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन की प्रदेश अध्यक्ष कामरेड कृष्णा अधिकारी ने कहा कि कॉ. राज नारायण का सबसे महत्वपूर्ण योगदान किसानों और मजदूरों के हित में था, उन्होंने भूमि सुधारों, उचित मूल्य के निर्धारण और मजदूरों के श्रम अधिकारों के रक्षा के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया था। उनकी सोच में गहरी सामाजिक संवेदनशीलता थी। मुख्य अतिथि डॉ. रघुवंश मणि ने कहा कि का. राज नारायण मिश्र ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समानता की दिशा में काम करते रहे और जाति के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कामरेड सूर्य देव सिंह ने कहा कि राज नारायण मिश्र की संवेदनशीलता सबसे अनोखी थी। संगोष्ठी को ओमप्रकाश मिश्र, गौरी शंकर, दीवान चंद पटेल, कामरेड असर्फी लाल व कामरेड राम लौट आदि ने भी संबोधित किया। अंत में स्वदेश कुमार मिश्र ने पिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके पिता किसानों व मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित जीवन जीते थे और उनके सामाजिक संवेदनशीलता ने बहुतों को आगे बढ़ने की राह दिखाई। कहा कि वह पिता की विरासत को सदा सम्मान और प्यार के साथ याद करते रहेंगे।
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