गोरखपुर। समय के साथ गीताप्रेस ने भी कदमताल शुरू कर दिया है। पुरानी मशीनें बदलकर अब नई प्रिटिंग मशीनें मंगाई जा रही हैं। इसी क्रम में फरीदाबाद से 50 लाख रुपये की अत्याधुनिक वेब आफसेट प्रिंटिंग मशीन मंगाई जा रही है।
यह छह मशीनों का काम अकेले करेगी। इसके अलावा जर्मनी से तीन करोड़ रुपये की अत्याधुनिक सिलाई मशीन व बेंगलुरु से एक करोड़ रुपये की गेदरिंग मशीन भी मंगाई जा रही है।
पुरानी मशीनों को हटाकर नई मशीनों को लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पुस्तकों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। प्रेस के पास कुल दो लाख वर्ग फीट जमीन है। इसमें 1.45 लाख वर्गफीट में प्रेस का काम होता है। शेष में आवास व दुकानें हैं। 1923 में एक पुस्तक ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ से शुरू हुआ प्रकाशन सौ वर्षों में 1850 पुस्तकों तक पहुंच गया है।
नई मशीनें लगाने व नए प्रकाशन के लिए अब जगह बिल्कुल नहीं बची है। इसके लिए गीताप्रेस ने जिला प्रशासन से 20 एकड़ जमीन की मांग की है, ताकि समय व मांग के अनुरूप प्रेस का विस्तार किया जा सके। जमीन अभी नहीं मिल पाई है। इसलिए गीताप्रेस ने पुरानी मशीनों की जगह नई अत्याधुनिक मशीनें लगाने का निर्णय लिया है। ऐसी मशीनें लगाने की शुरुआत हो चुकी है, जो चार-छह मशीनों जितना उत्पादन कर सकें।
नई आ रही मशीन रील से छपाई व फोल्डिंग दोनों एक साथ करेगी। यह अकेली मशीन चार पुरानी छपाई मशीनों व दो फोल्डिंग मशीनों का काम करेगी। मैनपावर, समय व जगह की बचत होने के साथ ही उत्पादन गुणवत्तापूर्ण होगा। पुरानी छह मशीनों पर 12 कर्मचारी काम करते थे। नई मशीन पर केवल चार कर्मचारी काम करेंगे। शेष आठ कर्मचारियों से अन्य कार्य कराया जा सकेगा।
इसके अलावा तीन करोड़ रुपये की अत्याधुनिक सिलाई मशीन व एक करोड़ रुपये की गेदरिंग मशीन भी मंगाने का निर्णय हो चुका है। इसके पहले फोरकलर व डबल कलर की मशीनें हटाकर जापान से चार रंगों में छपाई करने वाली तीन मशीनें मंगाई गई हैं, जिनसे आर्ट पेपर पर पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं। इन पुस्तकों की मांग सर्वाधिक है। पुरानी मशीनों से आर्ट पेपर पर छपाई संभव नहीं थी।
गीताप्रेस ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने कहा कि पाठकों की गीताप्रेस से बहुत सारी उम्मीदें हैं। जगह के अभाव के चलते हम उनकी मांग के अनुरूप पुस्तकों की छपाई नहीं कर पा रहे हैं। मांग के सापेक्ष लगभग 30 प्रतिशत कम छपाई हो पा रही है। कम जगह में अधिक उत्पादन के लिए नई अत्याधुनिक मशीनें लाकर पुरानी मशीनों को बदलने का निर्णय लिया गया है।
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