गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर (10+2) पक्कीबाग, गोरखपुर में शिशु शिक्षा समिति, गोरक्ष प्रांत द्वारा आयोजित छह दिवसीय प्रांतीय ‘पंचपदी अधिगम पद्धति’ स्त्रोत व्यक्ति कार्यशाला का आज सफलता पूर्वक समापन हुआ। कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप विद्यार्थियों के समग्र विकास हेतु पंचपदी अधिगम पद्धति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्त्रोत व्यक्तियों (Resource Persons) को प्रशिक्षित करना था।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. रामदरश राय, अध्यक्ष, शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत उपस्थित रहे। अपने उद्बोधन में उन्होंने पंचपदी पद्धति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पद्धति विद्यार्थियों में ज्ञान, बोध, अभ्यास, प्रयोग और प्रचार के माध्यम से मूल्याधारित शिक्षा को मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहकर सीखे हुए को समाज में प्रसारित करना चाहिए। सीखना एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है और ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
प्रो. राय ने कहा कि भारतीय समाज साहित्य, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों से समृद्ध है तथा विद्या भारती इसके संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने शिक्षकों को निरंतर अध्ययन और अभ्यास करने की प्रेरणा दी।
कार्यशाला में प्रांत के विभिन्न विद्यालयों से लगभग 70 शिक्षक शामिल हुए। विशेषज्ञों द्वारा ‘पंचपदी’ शिक्षण पद्धति के सभी चरण—
अधीति (ज्ञान), बोध (समझ), अभ्यास (पुनरावृत्ति), प्रयोग (अनुप्रयोग) और प्रचार (प्रसार) —का विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायी बताया।
समारोह में अतिथि परिचय प्रधानाचार्य डॉ. राजेश सिंह (सरस्वती शिशु मंदिर पक्कीबाग), वृत्त-निवेदन गोविंद सिंह (प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख), एकल गीत बहन प्रियदर्शिनी, आभार ज्ञापन कन्हैया चौबे (संभाग निरीक्षक बलिया), शांति मंत्र बहन सुधा त्रिपाठी (प्रधानाचार्या, सरस्वती शिशु मंदिर महावीरपुरम) द्वारा किया गया। संचालन आचार्य एस.एन. कुशवाहा ने किया।
इस अवसर पर राम सिंह, प्रदेश निरीक्षक, शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत सहित अनेक विद्वान, शिक्षक एवं प्रशिक्षार्थी उपस्थित रहे।

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