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Tuesday, September 16, 2025

शिक्षकों की आजीविका बचाने को आवश्यक कदम उठाए सरकार - चन्द्रिका सिंह

 - टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में शिक्षकों का प्रदर्शन, प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

बस्ती। परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को टीईटी पास करने की अनिवार्यता के विरोध में जिले के हजारों शिक्षकों ने मंगलवार को बीएसए कार्यालय के प्रांगण में धरना देकर पैदल मार्च करते हुए डीएम कार्यालय पहुंचकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। शिक्षकों ने उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर जिलाध्यक्ष चन्द्रिका  सिंह के नेतृत्व में टीईटी उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता से मुक्त किए जाने की मांग किया। भारी बारिश के बावजूद शिक्षक दिन भर धरने में डेट रहे। शिक्षकों का कहना था कि 1 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार के 2017 के शासनादेश के क्रम में सेवारत शिक्षकों के लिए भी टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया है, जबकि सभी शिक्षक नियुक्ति के समय निर्धारित मानकों को पूरा कर ही सेवा में आए थे। सरकार का यह निर्णय न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि लाखों परिवारों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। धरने को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष ने कहा कि वैध नियमों के अंतर्गत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित की जाए। लाखों शिक्षकों की सेवा समाप्ति और आजीविका के संकट से बचाने हेतु आवश्यक नीतिगत एवं विधायी कदम शीघ्र उठाए जाएं। यदि सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो शिक्षकों का यह आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा। जिला मंत्री बालकृष्ण ओझा और कोषाध्यक्ष दुर्गेश यादव ने कहा कि सेवाकाल के बीच में न्यूनतम योग्यता मानदंड में बदलाव करना  न्यायसंगत नहीं है। कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण शिक्षकों को इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जहां उन्हें अपनी दशकों की सेवा के बाद भी अपनी योग्यता साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। धरने को उमाकांत शुक्ल, शिव रतन, सुधीर तिवारी, शिव प्रकाश सिंह, रवीश मिश्र, प्रवीन श्रीवास्तव, हरेंद्र यादव, विवेक कान्त पाण्डेय, रामसागर वर्मा, राजकुमार तिवारी, अशोक यादव, मोहम्मद असलम, राजेश गिरि, अनीश अहमद, गिरजेश चौधरी, हरिओम यादव, राजकुमार तिवारी, अंगद सिंह, संतोष पाण्डेय, लालता प्रसाद, अनिल पाठक, सीनियर बेसिक शिक्षक संघ के ओंकार सिंह, सुरेश गौंड, सनद पटेल, अविनाश दुबे, समीउल्लाह अंसारी, अखिलेश पाण्डेय, दिनेश सिंह, राम प्यारे, शिक्षामित्र के नेता वीरेंद्र शुक्ल, लालता प्रसाद, माध्यमिक शिक्षक संघ के शिवपाल सिंह, प्रद्युम्न, विकास भट्ट, तौआब अली, अनुदेशक संघ के अध्य्क्ष अमित सिंह ने आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि 1 सितंबर 2025 को उच्चतम न्यायालय के आदेश में टीईटी को अनिवार्य करने के निर्णय से 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और गरिमा पर संकट आ गया है। इसे काला कानून बताते हुए मांग की कि सरकार शीघ्र ही इसमें संशोधन कर शिक्षकों को राहत दे।
धरने में मुख्य रूप से रेहाना परवीन, रीना कन्नौजिया, वंदना, सालेहा बेगम, प्रीति कटियार, नीतू सिंह, अनीता, असलम, मुस्तकीम, रीता गौतम,मीरा वर्मा, निर्मला, बृजेश, नरोत्तम सिंह, संजय यादव, रुकुनुद्दीन, आलम, सुशील पटेल, आकाश सिंह, शिवशंकर यादव, विजय यादव, धर्मराज, राजीव सिंह, राजकुमार, मनीष पाण्डेय, विपिन शुक्ल, अनीश अहमद, दिवाकर मिश्र, सुशील गहलोत, उमाशंकर पाण्डेय, अवनीश, शिवेंद्र , प्रशांत, अनुज, अर्जुन, चंद्रशेखर, मयूर श्रीवास्तव, गिरजेश सिंह, राकेश पाण्डेय, बब्बन पाण्डेय, अश्विनी उपाध्याय, विनय शुक्ल, प्रशांत, शिवेंद्र चौधरी, रमेश वर्मा, उमापति, ज्ञानेंद्र सिंह, घनश्याम प्रजापति, नीरज सिंह, प्रवीण सिंह, अनुराग सिंह, नंदलाल, प्रभाकर पटेल, देवेंद्र सिंह, सत्यप्रकाश कन्नौजिया, विजय सेन, विजय राव, आंनद गौतम, मनु श्रीवास्तव, रंजन सिंह, अनिल सिंह  सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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