किसी वस्तु की चाह न करता,
कभी स्वयं पर वाह न करता।
और मरीजों की सेवा में,
जो अपनी परवाह न करता।
वही चिकित्सक श्रेष्ट कहाता।
जो दुखियो के मन को भाता।
अपनी निःस्पृह सेवा से जो,
मानवता की राह दिखाता।
सेवा ही जीवन का सार,
उतरो भौतिकता के पार।
डाक्टर हो तो तन्मयता से,
करो मरीजों का उपचार।
डा० वी० के० वर्मा
चिकित्साधिकारी ( जिला चिकित्सालय, बस्ती )
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