नई दिल्ली। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी के कहा कि राजस्थान को अब लगभग 70 प्रतिशत बिजली नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होती है।
राजस्थान में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 35.4 गीगावाट है, जिसमें से 29.5 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता और 5.2 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता शामिल है।
राजस्थान में जेलेस्ट्रा इंडिया द्वारा विकसित 435 मेगावाट क्षमता वाली गोरबिया सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य अब आशा, ऊर्जा स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की नई किरण है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे द्वारा उत्पादित प्रत्येक मेगावाट के साथ, हम केवल बिजली का उत्पादन ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं और यह परियोजना परिवर्तन की गति और पैमाने को दर्शाती है।
आठ महीने से भी कम समय में बनकर तैयार हुई गोरबिया सौर ऊर्जा परियोजना 1,250 एकड़ में फैली है और इस परियोजना के लिए भारतीय सौर ऊर्जा निगम के साथ 25 साल के विद्युत क्रय समझौते (पीपीए) भी किया गया है।
यह परियोजना सालाना 755 गीगावाट घंटे स्वच्छ बिजली पैदा करेगी, जिससे लगभग 1.28 लाख घरों को बिजली मिलेगी और हर साल लगभग 7.05 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस परियोजना ने किसानों को भारत की ऊर्जा यात्रा में भागीदार बना दिया है, क्योंकि इसमें उपयोग की गई भूमि उनसे पट्टे पर ली गई है, जिससे उन्हें स्थिर आय प्राप्त हो रही है।
उन्होंने कहा, हमारे किसान अब केवल अन्नदाता नहीं हैं। वे अब ऊर्जा प्रदाता भी हैं।
इस परियोजना के निर्माण के दौरान, 700 से अधिक स्थानीय श्रमिकों को रोजगार मिला, जिससे आजीविका सृजन और कौशल विकास में योगदान मिला।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साइट पर सबस्टेशन और 6.5 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन सहित संपूर्ण निकासी अवसंरचना केवल पांच महीनों में पूरी हो गई।
यह परियोजना सर्वोत्तम प्रदर्शन बनाए रखने के लिए उन्नत सौर पैनलों (टॉपकॉन बाइफेसियल मोनो पीईआरसी मॉड्यूल) और 1300 से अधिक रोबोटिक सफाई इकाइयों का उपयोग करती है। केंद्रीय मंत्री ने इसे विश्वस्तरीय सुविधा बताया और ऐसी तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने का आग्रह किया।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत, राजस्थान में 49,000 से ज्यादा रूफटॉप इंस्टॉलेशन पूरे हो चुके हैं, जिन पर 325 करोड़ रुपए से ज्यादा की सब्सिडी वितरित की गई है। वहीं, प्रधानमंत्री-कुसुम के तहत, लगभग 1.45 लाख सौर पंप स्थापित किए जा चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने 2030 की समय सीमा से पांच साल पहले ही गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50 प्रतिशत स्थापित क्षमता का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है।
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