श्रीनगर। अमरनाथ यात्रा के दौरान अब तक लगभग 3.52 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए हैं। शुक्रवार को 2,896 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था जम्मू से रवाना हुआ। अधिकारियों ने बताया कि 3 जुलाई से शुरू हुई यात्रा के 21 दिनों में ही तीर्थयात्रियों की संख्या 3.50 लाख के अनुमानित आंकड़े को पार कर गई।
अधिकारियों ने बताया कि 2,896 यात्रियों का एक और जत्था शुक्रवार को जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से सुरक्षा काफिलों के साथ रवाना हुआ। 790 यात्रियों को लेकर 42 वाहनों का पहला काफिला सुबह 3रू30 बजे बालटाल आधार शिविर के लिए रवाना हुआ, जबकि 2,106 यात्रियों को लेकर 75 वाहनों का दूसरा काफिला सुबह 4रू18 बजे पहलगाम आधार शिविर के लिए रवाना हुआ।
पारंपरिक पूजा के लिए छड़ी मुबारक (भगवान शिव की पवित्र गदा) शुक्रवार को हरि पर्वत स्थित शारिका भवानी मंदिर में ले जाया जाएगा। इससे पहले, महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में साधु-संत गुरुवार को पारंपरिक पूजा के लिए छड़ी मुबारक (भगवान शिव की पवित्र गदा) को श्रीनगर के ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर लेकर गए। यह पूजा हर साल हरियाली अमावस्या (श्रावण अमावस्या) के अवसर पर की जाती है, जो प्राचीन परंपरा का हिस्सा है।
छड़ी मुबारक 4 अगस्त को श्रीनगर के दशनामी अखाड़ा मंदिर से गुफा मंदिर की ओर अपनी अंतिम यात्रा शुरू करेगी और 9 अगस्त को पवित्र गुफा मंदिर पहुंचेगी, जो यात्रा का आधिकारिक समापन होगा।
अधिकारियों ने इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए व्यापक बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है, क्योंकि यह यात्रा 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद हो रही है। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम के बैसरन मैदान में कथित तौर पर धर्म पूछकर 26 लोगों की हत्या की थी।
अमरनाथ यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के मद्देनजर स्थानीय पुलिस के अलावा सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ और एसएसबी समेत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 180 अतिरिक्त कंपनियां तैनात हैं। सेना ने इस साल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए 8 हजार से अधिक विशेष कमांडो तैनात किए हैं।
यह यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई थी और 38 दिनों के बाद 9 अगस्त को समाप्त होगी। श्रद्धालु पवित्र अमरनाथ मंदिर तक पारंपरिक पहलगाम मार्ग या छोटे बालटाल मार्ग से पहुंचते हैं। पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वाले लोग चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी से होकर गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं और 46 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हैं। इस यात्रा में तीर्थयात्री को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगते हैं।
छोटे बालटाल मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है और दर्शन करने के बाद उसी दिन आधार शिविर लौटना पड़ता है।
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