प्रयागराज। प्रयागराज में गत दिनों जिस तरह से अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ और बेटे असद का अंत हुआ, उससे यूपी के दूसरे माफिया के दिलों में खौफ बैठ गया है। इन माफिया में एक कुख्यात अपराधी मुख्तार अंसारी भी है। उसे भी अपनी पेशी के दौरान हत्या का डर सताने लगा है। 29 अप्रैल को गाजीपुर के एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर एक्ट के केस में फैसला आना है। फैसले के वक्त मुख्तार अंसारी को कोर्ट में पेश होना होगा। ऐसे में कहा जा रहा है कि पेशी पर बांदा जेल से गाजीपुर कोर्ट पहुंचने में मुख्तार अंसारी को डर लग रहा है। वहीं लंबे समय से फरार चल रही मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी पर पुलिस ने इनाम राशि बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी है।
माफिया मुख्तार अंसारी |
सूत्रों के मुताबिक, मुख्तार अंसारी ने जैसे ही अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मौत की खबर सुनी, वह बेचौन हो उठा था और अपनी बैरक में घूमने लगा था। वहीं मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने भी आरोप लगाया है कि अब हमें भी मारने की तैयारी की जा रही है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि मुख्तार ने अपनी जान को खतरा की आशंका जताई है।
- खाने में जहर मिलाकर मारने की आशंका
बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने 23 सितंबर, 2021 में हत्या की आशंका जताई है। उसने एमपी-एमएलए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान कहा था कि उसे डर है कि कहीं राज्य सरकार खाने में जहर न मिलाकर परोस दे। उसने तब कोर्ट से अपील की थी कि उसे उच्च श्रेणी की सुविधाएं दी जाएं। मुख्तार ने कहा था कि अगर उसे जेल में उच्च श्रेणी की सुविधाएं मिल जाती हैं तो उसके मन से डर खत्म हो जाएगा।
- राष्ट्रपति तक से लगा चुका है सुरक्षा की गुहार
मार्च, 2021 में जब मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था, तब उसकी पत्नी अफशां अंसारी ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर अपने पति को पंजाब से यूपी लाने के दौरान उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित करने का आदेश देने की गुहार लगाई थी। अफशां ने लिखा था कि उनके पति एक मामले में चश्मदीद गवाह हैं, जिसमें बीजेपी एमएलसी माफिया बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह अभियुक्त हैं। ये दोनों अभियुक्त सरकारी तंत्र की कथित मिलीभगत से अंसारी को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। लिहाजा इस बात का खतरा है कि पंजाब की जेल से बांदा लाए जाते वक्त रास्ते में फर्जी मुठभेड़ की आड़ में अंसारी की हत्या की जा सकती है।
- मुख्तार की सुरक्षा के लिए परिवार से कोई नहीं आया
वहीं मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को लेकर डीजी जेल एसएन साबत का कहना है कि जेल के अंदर कैदी की सुरक्षा की हमारी जिम्मेदारी है। मुख्तार अंसारी को हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। उसकी बैरक को सीसीटीवी के जरिए निगरानी में रखा गया है। मुख्तार अंसारी की सुरक्षा में तैनात जेल कर्मियों पर भी समय-समय पर नजर रखी जाती है। उन्होंने कहा कि जेल के बाहर जब कोई बंदी जाता है तो जिस जिले के वारंट पर उस बंदी को ले जाया जाएगा, बंदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस जिले की होगी।
वहीं गाजीपुर के एसपी ओमवीर सिंह का कहना कि फिलहाल मुख्तार अंसारी या उनके परिवार की तरफ से सुरक्षा को लेकर कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया गया है। लेकिन 29 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के लिए अगर मुख्तार को बांदा जेल से लाया जाएगा तो सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त होगी। पीएसी के साथ-साथ 5 थानों की पुलिस फोर्स तैनात रहेगी।
- 8 राज्यों में फैला है अंसारी का गैंग
मुख्तार अंसारी भी एक बहुत बड़ा अपराधी है। उसका यूपी के अलावा मुंबई, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, दिल्ली और एमपी में भी नेटवर्क फैला हुआ है। उनके खिलाफ देशभर में 61 मामले दर्ज हैं, जिनमें 24 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। शायद यही वजह है कि एक केस की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि मुख्तार का गैंग देश का सबसे खूंखार आपराधिक गिरोह है। उसने गैंगस्टर जसविंदर सिंह रॉकी की मदद से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अपनी पकड़ मजबूत की।
- 1988 में दर्ज हुआ हत्या का पहला केस
मुख्तार अंसारी के खिलाफ 1988 में गाजीपुर कोतवाली में हत्या का पहला केस दर्ज हुआ था। मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्ताठर का नाम सामने आया था। इसी दौरान बनारस में त्रिभुवन सिंह के भाई कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसमें भी मुख्तार को आरोपी बनाया गया है। त्रिभुवन सिंह माफिया ब्रजेश सिंह का करीबी था। मुख्तार और ब्रजेश सिंह की अदावत भी उसी दौरान शुरू हुई थी। 1990 में गाजीपुर के सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था, लेकिन मुख्तार अंसारी के गिरोह ये ठेके छीनने शुरू कर दिए थे।
- 18 वर्ष से जेल में बंद है मुख्तार
मुख्तार अंसारी गत 18 साल से जेल में बंद है। हालांकि जेल से अंदर से भी उसके अपराध का सिलसिला जारी है। जेल के अंदर रहते हुए भी उसके खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के थानों में अब तक हत्या के 8 मामले दर्ज हो चुके हैं। इसी साल उसके खिलाफ गाजीपुर के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड को लेकर 61वां केस दर्ज किया गया है। मुख्तार के खिलाफ हत्या के 18 केस दर्ज हैं जबकि हत्या के प्रयास के 10 मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा उस पर टाडा, गैंगस्टर ऐक्ट, एनएसए, आर्म्स ऐक्ट और मकोका ऐक्ट के तहत खिलाफ केस दर्ज हैं।
- मऊ दंगा, कृष्णानंद राय हत्याकांड से खींचा ध्यान
वर्ष 2005 में यूपी में दो बड़ी वारदात हुई थीं, जिनमें मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था। पहला मामला मऊ दंगों से जुड़ा हुआ है। वह भरत मिलाप के दौरान दंग भड़क गया था। दरअसल मुख्तार का एक कथित वीडियो सामने आया था, जिसमें वह जिप्सी में अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ दंगाग्रस्त इलाकों में घूमता दिखाई दिया था। मऊ दंगे के वक्त ही मुख्तार की एके-47 के साथ खुली जीप में तस्वीर वायरल हुई थी। इस मामले में मुख्तार ने 25 अक्टूबर, 2005 को गाजीपुर में सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद से वह जेल में बंद है।
करीब एक महीने के बाद 29 नवंबर को कड़ों राउंड फायरिंग कर बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में भी मुख्तार को मुख्य आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने मामले की जांच की लेकिन मुख्तार बरी हो गया था। कृष्णानंद राय ने मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को 2002 के विधानसभा चुनाव में हराया था। साथ ही कृष्णानंद राय उस वक्त मुख्तार के सबसे बड़े दुश्मन ब्रजेश सिंह की मदद भी कर रहे थे।
इस हत्याकांड के लिए मुख्तार ने जेल में बैठकर शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद ली थी, जिसकी साल 2018 में यूपी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी। इस हमले के गवाह शशिकांत राय की साल 2006 में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी। इस हत्याकांड में भी मुख्तार का नाम सामने आया था। मुख्तार के नाम पर कई और घटनाएं भी दर्ज हैं। जैसे-1991 में पुलिस मुख्तार की धरपकड़ में लगी हुई थी। इस दौरान वह चंदौली में पुलिस की गिरफ्तार में आ गया था, लेकिन वह दो पुलिस वालों को गोली मारकर उनकी पकड़ से फरार हो गया था। इसके बाद 1996 में एएसपी उदय शंकर पर हमला किया था। 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा का अपहरण कर लिया था। मुख्तार पर राजेंद्र सिंह हत्याकांड, वशिष्ठ तिवारी उर्फ माला गुरु हत्याकांड, अवधेश राय हत्याकांड, गाजीपुर में एडिशनल एसपी एवं अन्य पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला मामले का भी केस दर्ज है।
- पांच बार का विधायक रहा मुख्तार
मुख्तार अंसारी ने 1995 में पहली बार गाजीपुर सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। यह चुनाव उसने जेल में रहते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़ा था। हालांकि वह यह चुनाव हार गया था। इसके बाद मुख्तार 1996 में बीएसपी में शामिल हो गया। वह गाजीपुर का बीएसपी का जिला अध्यक्ष बनाया गया, फिर उसी साल मऊ सदर सीट से उसे चुनाव टिकट दे दिया गया। वह पहली बार चुनाव जीता। 2002 और 2007 में उसने निर्दलीय चुनाव जीता था। वह 2017 तक लगतार चुनाव जीता। मुख्तार ने अपने आखिरी तीन चुनाव जेल में रहते हुए जीते थे। 2022 में मुख्तार ने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी थी।
- 448 करोड़ की संपत्ति हो चुकी है जब्त
योगी सरकार माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अब तक 448 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है। इन संपत्तियों में मुख्तार की पत्नी अफशा अंसारी, बेटे अब्बास अंसारी व भाईयों की संपत्ति भी शामिल है। आयकर विभाग ने हाल में यूपी और अन्य स्थानों पर 127 करोड़ रुपये कीमत की लगभग दो दर्जन ‘बेनामी’ संपत्तियों का पता लगाया है। इन्हें भी एक-एक करके जब्त किया जा रहा है। इसके अलावा उसे करीब 83 शस्त्र लाइसेंस अब तक जब्त किए जा चुके हैं।
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