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Wednesday, July 2, 2025

इंद्र की तलवार से प्रेरित, भारतीय नौसेना का नवीनतम स्टील्थ फ्रिगेट नौसेना के हुआ शामिल


नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने 01 जुलाई 2025 को एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करते हुए INS Tamal (F-71) को आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया। यह समारोह रूस के कालिनिनग्राद स्थित यांतर शिपयार्ड में आयोजित हुआ, जिसमें भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसैनिक कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह मुख्य अतिथि थे। उनके साथ वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन (युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक), वाइस एडमिरल सर्गेई लिपिन (रूसी नौसेना के बाल्टिक फ्लीट के कमांडर) और दोनों देशों की सरकारों, नौसेनाओं तथा औद्योगिक संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
 - इंद्र की तलवार से प्रेरित नाम- "तमाल"
INS Tamal का नाम हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित इंद्रदेव की दिव्य तलवार ‘तमाल’ से प्रेरित है। यह तलवार विजय, शक्ति और अडिग साहस का प्रतीक मानी जाती है। युद्ध में निर्णायक बढ़त दिलाने वाली यह कल्पना अब भारतीय नौसेना के इस अत्याधुनिक युद्धपोत के रूप में साकार हुई है।
 - INS Tamal : तकनीक और रणनीतिक सहयोग की मिसाल
INS Tamal प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत निर्मित आठवां युद्धपोत है और ‘तुषिल’ श्रेणी की दूसरी पोत है। पहला पोत INS Tushil दिसंबर 2024 में भारतीय रक्षा मंत्री की उपस्थिति में कमीशन किया गया था। यह पोत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, श्टिल-1 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, आधुनिक तोपें, टॉरपीडो, एंटी-सबमरीन रॉकेट, HUMSA-NG सोनार प्रणाली और ईडब्ल्यू सूट से लैस है। यह पोत हवा, सतह, पानी के नीचे और इलेक्ट्रॉनिक सभी चार आयामों में युद्ध संचालन करने में सक्षम है।
इसके अलावा INS Tamal भारतीय और रूसी तकनीकों का समन्वय है, जिसमें 26 प्रतिशत स्वदेशी प्रणाली शामिल हैं। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रमों की दिशा में भी एक ठोस कदम है। भविष्य में इसी श्रेणी के दो और पोत भारत में निर्मित किए जाएंगे।
 - युद्ध क्षमता और उन्नत विशेषताएं
INS Tamal को अत्याधुनिक कम्युनिकेशन और नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशन क्षमताओं से सुसज्जित किया गया है। इसका कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम सभी हथियारों और सेंसरों को एक प्रभावशाली प्रणाली में एकीकृत करता है। इसमें उच्च क्षमता वाले इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और EO/IR सिस्टम हैं, जो पोत को अद्वितीय ‘सुनने’ और ‘देखने’ की क्षमता प्रदान करते हैं।
पोत में NBC (न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल, केमिकल) सुरक्षा प्रणाली, सेंट्रलाइज्ड डैमेज कंट्रोल और फायर फाइटिंग सिस्टम हैं, जिससे युद्ध के दौरान न्यूनतम हानि और तेज़ पुनर्स्थापन संभव है। यह प्रणाली पोत की जीवंतता और युद्धक क्षमता को अधिकतम बनाए रखती है।
INS Tamal में लगभग 250 नौसैनिक और 26 अधिकारी तैनात होंगे। यह पोत वायुसेना के साथ इंटरऑपरेबिलिटी में भी सक्षम है और इसमें कामोव-28 व कामोव-31 जैसे हेलीकॉप्टरों को संचालित करने की सुविधा है, जो पनडुब्बी रोधी और हवाई चेतावनी अभियानों में उपयोगी हैं।
 - रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि
समारोह के दौरान वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन ने INS Tamal को भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी बताया कि यह पिछले 65 वर्षों में भारत और रूस के सहयोग से निर्मित 51वां युद्धपोत है, जो दोनों देशों के साझा तकनीकी और रक्षा प्रयासों की स्थायित्वपूर्ण सफलता को दर्शाता है।
वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि INS Tamal का भारतीय नौसेना में शामिल होना न केवल इसकी मारक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि इसे और अधिक सुदृढ़, प्रतिक्रियाशील और भविष्य के लिए तैयार बनाता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि INS Tamal, INS Talwar, INS Teg और INS Tushil जैसे पोतों की श्रेणी में सम्मिलित होकर इस गौरवपूर्ण परंपरा को आगे बढ़ाएगा।
 - युद्ध के लिए सदा तत्पर
INS Tamal का आदर्श वाक्य है – “सर्वत्र सर्वदा विजय”, यानी "हर स्थान पर, हर समय विजय।" यह नौसेना के मिशन “Combat Ready, Credible, Cohesive and Future Ready Force – Anytime, Anywhere” को पूर्ण रूप से साकार करता है। INS Tamal जल्द ही रूस से अपनी पहली समुद्री यात्रा पर निकलेगा और भारत के पश्चिमी तट पर स्थित अपने घरेलू बंदरगाह कारवार, कर्नाटक पहुंचेगा। इस दौरान यह कई अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों पर अपना पराक्रम प्रदर्शित करेगा।

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