बस्ती। सरकार ने परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा को भले ही निःशुल्क कर दिया है पर निजी विद्यालयों की मनमानी एवं लूट पर लगाम लगाने में पूरी तरह फेल है जिसके परिणाम स्वरूप जनता निजी विद्यालयों के संचालकों के हाथों लुटने को मजबूर है ।
जनपद में शिक्षा का बाजारीकरण चरम पर पहुँच चुका है जिसका परिणाम यह है कि जनपद में निजी विद्यालयों के प्राइमरी स्तर की फीस 500 रुपये महीने के पायदान पर पहुँच गयी है । बात यही न तो रुकती है न ही समाप्त होती है इस फीस के बाद , जूता मोजा कापी किताब व अन्य त्योहारी खर्चे भी जबरियां वसूले जा रहे हैं । निजी विद्यालयों द्वारा की जा यह लूट जिम्मेदारों की जानकारी में चल रही है न कि चोरी छिपे फिर भी लूट रुकने का नाम नहीं ले रही है । हैरानी वाली बात तब आती है जब जिम्मेदार इस दिशा में पहल करने की बात तो दूर सोचना तक मुनासिब नहीं समझते । शासन एवं प्रशासन के जिम्मेदार ही इस समस्या की जड़ में समाए हुए हैं इसीलिए समस्या सुलझने का नाम नहीं ले रही है ।
No comments:
Post a Comment