<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

.com/img/a/

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Saturday, July 22, 2023

demo-image

चंद्रयान लैंड करके भारत रचेगा इतिहास

नई दिल्‍ली। चंद्रयान-3 के माध्‍यम से भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी पैंठ बढ़ाने जा रहा है। 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भेजा गया चंद्रयान करीब 24 अगस्‍त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। जहां पर अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश अपने मिशन को भेजने की हिम्‍मत नहीं कर पाए, चंद्रयान-3 उस क्षेत्र में लैंड होकर चंद्रमा के भीतर छुपे राज को खंगालेगा। भारत अगर इसमें सफल हुआ तो वो ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा।
2%20(5)

दुनिया में ऐसे 11 ही देश हैं जिन्‍होंने मून मिशन भेजे हैं। इन 11 में से केवल अमेरिका, रूस, चीन ही ऐसे देश हैं जो चांद की सतह पर लैंड कर पाए हैं। भारत चंद्रयान-3 के माध्‍यम से जो काम करने जा रहा है वो बेहद जटिल है। हम चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिण ध्रुव के पास उतारने जा रहे हैं। यहां सूरज की रौशनी कम ही पहुंचती है। खासबात यह है कि यहां तापमान माइनस में 200 डिग्री सेल्सियस या उससे भी कम पहुंच जाता है।
ISRO चीफ डॉ. एस सोमनाथ का कहना है कि भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक स्थित मैंजिनस-यू क्रेटर के पास चंद्रयान-3 भेज रहा है। चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतारा जा रहा। इसे केवल दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा जा रहा है। इसकी मुख्‍य वजह वहां का जटिल तापमान। वहां रोशनी भी पर्याप्त नहीं रहती. इस मुश्किल मिशन को लेकर ISRO पहले ही सतर्क है।
चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर सौर उर्जा से चलेगा. ऐसे में दक्षिण ध्रुव पर अगर चंद्रयान को उतारा गया तो सूरज की रौशनी नहीं मिलने के कारण यह मिशन फेल हो जाएगा। यही वजह है कि चंद्रयान को दक्षिण ध्रुव के पास उतारा जा रहा है। इस दुर्गम स्‍थान के पास अपने मून मिशन को लैंड कराने की किसी भी देश की हिम्‍मत अबतक नहीं हो पाई है। 
दक्षिण ध्रुव के सबसे करीब इससे पहले केवल अमेरिका पहुंचा है। जनवरी 1968 में अमेरिका के सर्वेयर-7 स्‍पेसशिप ने चांद पर लैंडिंग की थी। अमरिका एकमात्र ऐसा देश है जो किसी मानव को चांद पर भेजकर सुरक्षित वापस बुला चुका है। अमेरिका अबतक कुल 24 एस्‍ट्रोनॉट्स को चांद पर भेज चुका है।
चांद पर लैंडर और रोवर को भेजने की बात की जाए तो इस मामले में अमेरिका, चीन और रूस ही अबतक यह कारनामा कर पाए हैं। अगर चांद से कोई सामान लेकर वापस पृथ्‍वी पर आने की बात करें तो इस मामले में भी अमेरिका, चीन और रूस यह कारनाम कर चुके हैं। भारत का लैंडर और रोवर वहां से कुछ नहीं लेकर आएगा। फिर भी भारत चांद के दक्षिण ध्रुव के पास उतरकर इतिहास रचने वाला है।
ISRO ने भले ही चंद्रयान-2 के 4 साल बाद तीसरा मिशन शुरू किया, लेकिन इसकी लागत बढ़ाने के बजाए और घटा दी है। इसरो की ओर से दी गई जानकारी को मानें तो चंद्रयान-3 पर आया खर्चा इससे पहले के मिशन पर हुए खर्चे से भी 363 करोड़ रुपये कम है। अमेरिका ने करीब 63 साल पहले अपने शुरुआती मिशन पर ही इसका 3000 गुना ज्‍यादा पैसा खर्च कर दिया था।
चंद्रयान-3 जैसे-जैसे अंतरिक्ष में अपने मिशन की ओर बढ़ रहा है, धरती पर कुछ निवेशकों की उम्‍मीदें भी आसमान पर जा रही हैं। चंद्रयान-3 के इस सफर में इंडियन स्‍पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के अलावा 6 और कंपनियों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। अगर मिशन सफल रहा तो इन कंपनियों के शेयरों में तगड़ा उछाल आने की पूरी संभावना है, जिसका फायदा इसमें पैसे लगाने वाले निवेशकों को भी मिलेगा। एक्‍सपर्ट का कहना है क‍ि इन कंपनियों में निवेश के भी रास्‍ते खुलेंगे जिससे इनका कारोबार विस्‍तार होगा।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages