बस्ती। जनपद में नियमों को ताक पर रखकर 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित दो दो टोल प्लाजा प्रकरण में जनपद के चर्चित समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय को मिली सफलता मंगलवार को समाजसेवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट प्रयागराज प्रतींकर दिवाकर व आशुतोष श्रीवास्तव ने सचिव भू-तल परिवहन मंत्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण दिल्ली, परियोजना निदेशक नेशनल हाईवे गोरखपुर व जिलाधिकारी बस्ती को चार सप्ताह के अन्दर जनहित में समाजसेवी के प्रार्थना पत्र पर अब तक कई गई कार्यवाही का जबाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि बदहाल हाईवे, सुरक्षित सुगम यातायात हेतु आवश्यक संसाधन,खुले चौराहों पर अण्डरपास बनाने, हताहतों के इलाज हेतु चिकित्सा व्यवस्था व क्षतिपूर्ति की व्यवस्था उपलब्ध कराने तथा 40किमी के अन्दर स्थापित दो टोल में से टोल प्लाजा चौकड़ी हटाने की मांग समाजसेवी उच्चाधिकारियों से 2015 से करते चले आ रहे थे यहां तक कि 2018 में अमहट पुल निर्माण हेतु चले संघर्ष में भी उन्होंने ये मांग प्रमुखता से उठाया था जिसपर भू-तल परिवहन मंत्रालय ने पत्र द्वारा सांसद हरीश द्विवेदी ने समस्या समाधान का आश्वासन भी दिया था किन्तु व्यवस्था उपलब्ध कराने व टोल हटाने की जगह प्रशासन ने श्री पाण्डेय पर दबाव बनाने हेतु 2019लोकसभा चुनाव के दौरान 452 जैसी आपराधिक मामला दर्ज कर दिया किन्तु सड़क व सदन में न्याय न मिलता देख श्री पाण्डेय ने माननीय न्यायालय में अपने अधिवक्ता कन्हैयालाल तिवारी के जरिए जनहित याचिका दाखिल कर दिया जिसकी सुनवाई के दौरान आज टोल प्लाजा के बचाव में अधिवक्ता अखिलेश कुमार मिश्र ने विषय परिस्थितियों में कम दूरी पर भी टोल स्थापित किये जाने की दलील दी किन्तु याची के अधिवक्ता ने बताया कि न तो वहां व विषय परिस्थिति है न ही इन परिस्थितियों में भी दो साल से अधिक टोल प्लाजा स्थापित करने का नियम ही है दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने जिम्मेदारों को जबाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। उक्त जानकारी देते हुए समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय सुदामा ने न्याय व्यवस्था व न्यायपालिका में विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित ही आम जनमानस को जल्द ही टोल के झोल से छुटकारा मिल जाएगा।
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