पटना। भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि और लोकनाट्य परंपरा के संस्थापक भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर बिहार के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। इस मौके पर उन्हें भारत रत्न देने की मांग तेज हो रही है।
पटना। भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि और लोकनाट्य परंपरा के संस्थापक भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर बिहार के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। इस मौके पर उन्हें भारत रत्न देने की मांग तेज हो रही है।
सारण से सांसद राजीव प्रताप रूडी ने भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत पद्म भूषण देने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। वे बिहार के सभी सांसदों के हस्ताक्षर लेकर एक संयुक्त प्रस्ताव भारत सरकार को सौंपेंगे।
सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने भी भारत सरकार से मांग की है कि भोजपुरी लोकनाट्य के संस्थापक और महान समाज सुधारक भिखारी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में एक ही पार्टी की सरकार है, लेकिन दोनों ने भिखारी ठाकुर के योगदान को नजरअंदाज किया है।
उन्होंने कहा कि सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने भिखारी ठाकुर के लिए पद्म भूषण की मांग की है, जिसका कोई विरोध नहीं है। लेकिन, उनका मानना है कि रूडी ने भिखारी ठाकुर के महत्व को कम आंका है। भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपने नाटकों और गीतों के जरिए सामाजिक जागरूकता और राष्ट्रीय चेतना फैलाई। उन्होंने शोषण, बाल विवाह, नारी उत्पीड़न, शराबखोरी और प्रवासी दुख जैसे मुद्दों को लोगों तक पहुंचाया, जो स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ एक सामाजिक क्रांति थी।
उन्होंने कहा कि भिखारी ठाकुर की रचना बिदेसिया केवल एक नाटक नहीं, बल्कि प्रवासी मजदूरों की पीड़ा की कहानी है, जो आज भी प्रासंगिक है। उनकी रचना बेटी-बेचवा बाल विवाह पर तीखा व्यंग्य करती है, जबकि गबरघिचोर महिलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान की बात करती है। वे सिर्फ कलाकार नहीं, बल्कि जन-गायक, लोक-मसीहा और सांस्कृतिक योद्धा थे। भोजपुरी समाज के लिए वे आस्था, सम्मान और पहचान का प्रतीक हैं। इसलिए, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए।
वहीं, प्रदेश भाजपा के मीडिया पैनलिस्ट पंकज सिंह कहते हैं कि भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग पुरानी है। उनका जीवन सादगी, संघर्ष, सामाजिक बदलाव और सांस्कृतिक जागरण का प्रतीक है। जिस तरह भूपेन हजारिका को भारत रत्न मिला, उसी तरह भिखारी ठाकुर को भी यह सर्वोच्च सम्मान देना चाहिए।
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