बस्ती। जिले के आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नाम पर खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है। अगर आवेदक बिना किसी दलाल के लाइसेंस के लिए आवेदन करता है तो उसे ‘‘ड्राइविंग टेस्ट’’ में जानबूझकर फेल कर दिया जाता है। लेकिन वहीं यदि कोई व्यक्ति 1500 से 3000 रुपये तक की दलाली देता है, तो आरटीओ के कर्मचारी बिना टेस्ट के ही लाइसेंस जारी कर देते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह एक सुनियोजित गिरोह की तरह काम करता है, जहाँ एजेंटों की मिलीभगत आरटीओ कर्मियों से है। एजेंटों द्वारा पहले ही तय कर दिया जाता है कि बिना ष्चढ़ावाष् दिए लाइसेंस बनना मुश्किल है।
सवालों के घेरे में आरटीओ बिना ट्रायल के लाइसेंस जारी करना न सिर्फ भ्रष्टाचार है, बल्कि यह सड़कों पर आम लोगों की जान को खतरे में डालने जैसा अपराध है। सवाल ये है कि ड्राइविंग स्किल देखे बिना लाइसेंस देना किस कानून के तहत सही ठहराया जा सकता है?
आरटीआई से खुल सकती है पोल यदि किसी आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा पिछले तीन महीनों में फेल हुए और पास किए गए आवेदकों की संख्या, साथ में उनके आवेदन का तरीका (दलाल से या सीधे) जांची जाए, तो पूरे भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।प्रशासन से मांग उच्च स्तरीय जांच कर आरटीओ कार्यालय की कार्यशैली की समीक्षा की जाए। बिना दलाल के पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
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