बस्ती। मामला नगर थाना क्षेत्र के एक गांव का है जहां 31 जनवरी 2018 को एक व्यक्ति ने नगर थाने पर एक प्राथमिक की इस आशय का दर्ज कराया की उसके लड़की के साथ दो लोगों ने उसके मुंह में कपड़ा ठूंस कर उसके साथ गलत काम किया। जिस पर नगर थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 376D, 504, 506,120B तथा 5/6 पाक्सो एक्ट और धारा 3(2)(5) एससी/ एसटी एक्ट में केस दर्ज कर अभियुक्तों को जेल भेज दिया था। एक आरोपी का अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट से 15 अप्रैल 2019 को खारिज हो चुका था। आरोपियों ने अधिवक्ता रमन पांडेय के माध्यम से जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया जिस पर 30 जुलाई 2024 को माननीय न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने सुनवाई करते हुए मट्टू की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया। साढ़े छः साल बाद बस्ती जेल से मट्टू को जमानत प्रक्रिया के बाद रिहा किया जाएगा। इससे पहले भी एक आरोपी का जमानत अधिवक्ता रमन पांडेय ने अप्रैल 2024 में ही करा लिया था। अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता के बयान तथा कोर्ट में उसके द्वारा दिए गए बयानों में काफी विरोधाभास तथा मेडिकल रिपोर्ट भी घटना को सपोर्ट नहीं कर रहा था। सभी तथ्यों का अवलोकन करने के बाद में हाईकोर्ट ने मट्टू को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया। अधिवक्ता रमन पांडेय ने बताया आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण मट्टू हाईकोर्ट में केस दाखिल नहीं कर पाया था। अधिवक्ता रमन पांडेय ने कई लोगों को लीगल सहायता देकर समाज में पुनःस्थापित करने काम किया है।
बस्ती। मामला नगर थाना क्षेत्र के एक गांव का है जहां 31 जनवरी 2018 को एक व्यक्ति ने नगर थाने पर एक प्राथमिक की इस आशय का दर्ज कराया की उसके लड़की के साथ दो लोगों ने उसके मुंह में कपड़ा ठूंस कर उसके साथ गलत काम किया। जिस पर नगर थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 376D, 504, 506,120B तथा 5/6 पाक्सो एक्ट और धारा 3(2)(5) एससी/ एसटी एक्ट में केस दर्ज कर अभियुक्तों को जेल भेज दिया था। एक आरोपी का अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट से 15 अप्रैल 2019 को खारिज हो चुका था। आरोपियों ने अधिवक्ता रमन पांडेय के माध्यम से जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया जिस पर 30 जुलाई 2024 को माननीय न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने सुनवाई करते हुए मट्टू की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया। साढ़े छः साल बाद बस्ती जेल से मट्टू को जमानत प्रक्रिया के बाद रिहा किया जाएगा। इससे पहले भी एक आरोपी का जमानत अधिवक्ता रमन पांडेय ने अप्रैल 2024 में ही करा लिया था। अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता के बयान तथा कोर्ट में उसके द्वारा दिए गए बयानों में काफी विरोधाभास तथा मेडिकल रिपोर्ट भी घटना को सपोर्ट नहीं कर रहा था। सभी तथ्यों का अवलोकन करने के बाद में हाईकोर्ट ने मट्टू को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया। अधिवक्ता रमन पांडेय ने बताया आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण मट्टू हाईकोर्ट में केस दाखिल नहीं कर पाया था। अधिवक्ता रमन पांडेय ने कई लोगों को लीगल सहायता देकर समाज में पुनःस्थापित करने काम किया है।
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