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Tuesday, July 25, 2023

गुनहगार कौन, वीसी या उनकी तानाशाही

- आखिर, आंदोलित छात्र क्यों हुए उग्र, क्या नहीं सुनी गयी उनकी बात तो बिगड़ा माहौल


गोरखपुर। बीते शुक्रवार को आंदोलन कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं के उग्र होने की आखिर क्या वजह थी? क्या उनकी बातों को विश्वविद्यालय प्रशासन अथवा खुद कुलापति ने क्यों संज्ञान में नहीं लिया। क्या कुलापति का रवैया तानाशाहों जैसा है? इन मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है। बीते 21 जुलाई को गोरखपुर विश्वविद्यालय और आंदोलित छात्रों से हुई झड़प में कुलपति और रजिस्ट्रार से हाथापाई की नौबत आ गयी। पुलिस से खींचतान देखने को मिली। शायद विश्वविद्यालय के इतिहास में यह पहला मौका रहा होगा कि ऐसा बीभत्स नजारा देखने को मिला हो। यह एक ऐसी घृणित घटना कही जा सकती है, जिसने गुरु-शिष्य परंपरा को लांछित किया। लेकिन सोशल मीडिया की बहस तो कुछ और ही कह रही है। कुछ का कहना है कि कुलपति राजेश सिंह ने छात्रों की बात को अनसुना किया तो कुछ उनके तानाशाह रवैये को दोषी ठहरा रहे हैं।

किसने क्या ट्विट किया :

नारायन दत्त पाठक नाम के एक सख्श ने ट्विट करते हुए लिखा है कि 'लगातार छात्र हितों की अनदेखी करना विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए आम हो गया है। जिससे छात्रों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिससे यह हिंसात्मक घटना हुई। किसी भी प्रकार की हिंसक घटना निंदनीय है, पर यह घटना विश्वविद्यालय प्रशासन के निरंकुश रवैय का परिणाम है।'अरुण कुमार मिश्र ने लिखा है कि 'जब एक निश्चित सीमा से कुछ भी बढ़ जाता है तो उसका टूटना ही निश्चित होता है। चाहे वह नदी पर बना बाँध हो या सब्र का बाँध। विवि में फीस का बढ़ना हो, क्लास चलाना हो, परीक्षा कराना हो, रिजल्ट देना हो, सभी में इतनी अव्यवस्था फैल गयी है कि छात्रों का गुस्सा फूटना निश्चित था और वही हुआ।'

पीके गुप्ता नामक यूजर ने लिखा है कि 'पड़ेगा नहीं, पहले से ही पड़ रहा है प्रभाव। रही बात जिम्मेदारी की तो वीसी राजेश सिंह खुद हैं। इतनी भी तानाशाही नहीं करनी चाहिए। परीक्षाएं अनियमित हो रही हैं। रिजल्ट का कुछ पता नहीं और इनको फीस एकदम समय पर चाहिए।'रितेश पाण्डेय नामक यूजर ने लिखा है कि 'कुलपति के तानाशाही रवैये से मुख़ातिब हो के देखिये एक बार, वैसे इनसे तो विश्व विद्यालय के छात्र और कर्मचारी सारे ही प्रताड़ित हैं।'कुमकुम नाम के यूजर ने लिखा है कि 'वीसी साहब ने मजबूर कर दिया छात्रों को उपद्रव करने को, न मिलते हैं, न बात करते हैं और न ही उनकी बातों को सुनते हैं तो बच्चे गुस्सा होंगे ही।'

 

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