गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के युवा अध्यक्ष ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि आप जानते हैं, कि हर वर्ष दशहरा पर्व के पहले रेलवे के ग्रुप सी और डी कोटि के कर्मचारियों को उत्पादकता आधारित बोनस दिया जाता है। यह बोनस लाभ आधारित न होकर उत्पादन के आधार पर निश्चित किया जाता है । यह, बोनस जो रेल कर्मचारियों को प्रति वर्ष मिलता है, हमारे संघर्ष और कुर्बानी का परिणाम है , किसी की कृपा नहीं ।

विगत कुछ वर्षों से लगातार 7000 की सीलिंग तय कर 78 दिन के बोनस की घोषणा कर दी जाती है , इससे जनता में यह वातावरण बनता है, कि रेलवे कर्मचारियों को लगभग पौने तीन माह के बराबर वेतन बोनस के रूप में मिलता है , प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मिडिया इस पर ढोल नगाड़े बजाते हुए घोषणा करती है ,कि रेलवे कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले और मालामाल जैसी बातें फैलाती है, जिसे सुनकर असंगठित क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग ग़लत परसेप्शन बनाते हैं ।
रेलवे कर्मचारियों को मिलने वाले बोनस के फार्मूले और रकम से जनता नावाकिफ रहती है ।
इस संबंध में तमाम स्थाई वार्ता तंत्र और संयुक्त वार्ता तंत्र की बैठकों एन एफ आई आर के महामंत्री डा एम राघवैया ने कहा और लिखा है, कि हम लम्बे समय से उत्पादकता आधारित वेतन के लिए न्यूनतम वेतन के वर्तमान फार्मूले से सहमत नहीं हैं इसलिए इसे रद्द किया जाए , लेकिन सरकार के हठी रवैए के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है ।
सातवे वेतनमान में जब न्यूनतम वेतन 18000 रूपए निर्धारित है ,तो फिर उत्पादकता आधारित बोनस तय करने के लिए मानक 7000/ कैसे हो सकता है।
इसलिए सरकार उत्पादकता आधारित बोनस देने के लिए 7 वें वेतन आयोग मे निर्धारित न्यूनतम वेतन को आधार बनाए तथा 78 दिन वाला फार्मूला भी समाप्त करे ।
आप इस तथ्य से भी वाकिफ हैं, कि भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1591 मिट्रिक टन माल तथा वित्त वर्ष 2022-23 में 1512 मिट्रिक टन था ,79 मिट्रिक टन अधिक माल परिवहन रेल कर्मचारियों के समर्पण, प्रतिबद्धता , कर्तव्यनिष्ठ और परिश्रम का परिणाम है, जिसे आपने लोकसभा में अपने भाषण में दर्ज कराया और कहा कि यह अबतक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है । इस असाधारण उपलब्धि और कर्त्तव्यपरायणता के लिए रेलवे के कर्मचारी बेहतर पुरस्कार के हकदार हैं ।
इसलिए पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ आपसे अपील करता है कि उत्पादकता आधारित बोनस की सीलिंग सीमा और दिन दोनों को बढ़ाने का काम करें क्यो कि ,रेल ही भारत के अर्थव्यवस्था की धुरी है ।
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